किसी का मिलना भी अच्छा होता हैं।
सब कुछ सही चल रहा होता है फिर अचानक से किसी की एंट्री होती है। ऐसा फ़िल्मों में होता है ना, सचमुच बताऊँ तो ऐसा रियल ज़िंदगी में भी होता है।
चलो एक कहानी सुनाती हूँ जो मुझे किसी ने सिखाई हैं तो अब आप मेरी इस कहानी से सीखना जेसे मेंने इससे सीखा, हाँ हो सकता है कि आपका इस कहानी को देखने का नजरिया अलग हो लेकिन आपको कुछ तो सीखने को मिलेगा ही।
एक लड़का, जिसकी उम्र 23 साल होती है वो ज्यादा सोचने की वज़ह से बहुत परेशान होता है उसको हर चीज को देखकर या सुनकर ऐसा लगता है जेसे जो वो चीज दिख रही है वो असल में वो है ही नहीं।
कभी तो उसका अनुमान गलत हो जाता लेकिन ज्यादातर वो सही ही होता।
तो इसलिए वो अपनी इस आदत को छोड़ नहीं पा रहा था और ज्यादा सोचने की वज़ह से उससे कई काम गलत हो जाते ये समझो की वो कुछ कर नहीं पा रहा था। अपनी ही जिंदगी में अटक सा गया था उसने बहुत कोशिश की अपने आप को ठीक करने की, अपने दोस्तों से भी मदद ली फिर उसके एक दोस्त ने उसे एक आदमी का पता बताया जो काफी सुलझे और समझदार पड़े लिखे कोई धार्मिक व्यक्ति थे।
उसने सोचा जब मेंने सब चीजों को देख लिया है समझ लिया है तब भी मैं अपने आप को बदल नहीं पा रहा हूँ , तो क्यूँ ना मैं एक बार इनके पास जाकर भी देखूँ।
तो फिर उसने जाने का फ़ैसला किया फिर वो अगले दिन अपने दोस्त के बताए हुए पते पर गया उसके घर से ज्यादा दूर नहीं था यही कम से कम एक किलोमीटर की दूरी पर बस।
तो वह वहाँ पहुँचता है उसने देखा कि बहुत सारे बच्चे उनसे पढ़ रहे हैं उसे थोड़ी हिचकिचाहट हुई फिर वो आराम से बैठ गया। उसके थोड़े इंतजार के बाद वह उसके पास आये और बोले हाँ जी कहिए किया परेशानी हो रहीं हैं आपको।
उनकी बातों में मिठास भरी हुई थी मानो कब से उसे जानते हो,फिर उसने अपनी सारी प्रॉब्लम्स बतानी शुरू की और वो बहुत अच्छे से समझ गए उन्होंने उनसे कहा मैं ज्यादा कुछ तो नहीं कहूँगा लेकिन रास्ता दिखाना मेरा फर्ज है क्यूंकि तुम मुझे भटके हुए दिखाई पड़ते हो।
देखो कुछ देर के लिए ये दुनिया को भूल जाओ और सोचो तुम्हारें हक्क हिसाब की घड़ी है तुमसे सवाल होगा कि ऊपर वाला तुमसे सवाल करेगा कि मेने तुम्हें जीवन दिया था तो बताओ उस जीवन मे तुमने मेरे लिए क्या किया था तो क्या तुम उस वक़्त ये कहोगे की नहीं मेंने तो पूरी जिंदगी कुछ नहीं किया मेंने तो सिर्फ पूरा जीवन सोचने में ही गुजार दिया....बताओं किया कहोगे तुम उस वक़्त।
बस वो एक सावाल ने उसके जीने का नजरिया ही बदल दिया ये छोटा सा सवाल है लेकिन अगर हम इस पर सोचे तो शायद हम कुछ अच्छा कर पाए ज्यादा ना सोचने की बजाए ये सोंचे की हमे किया करना है एक अच्छे इंसान बनने के लिए।
और उस एक शख्स ने उसकी पूरी जिंदगी बदल कर रख दी उसके सोचने का तरीख़ा ही बदल दिया। कभी कभी किसी एक की सलाह या उसके सोचने के तरीखें भी आपके जीवन को सुधारने में मदद कर सकते है।
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