Real story in Hindi by lekhh

मेरे बचपन की एक अनोखी बात और उससे जुडी एक सीख || A REAL STORY IN HINDI BY LEKHH

बचपन में दिन गर्मी के हो या सर्दियों के शाम को खेलने जाना तो सबसे जरूरी काम हुआ करता था।

जब मैं दस साल की थी तब बहुत बचपना था अच्छे बुरे की समझ नहीं थी बस जो दिल मे आता वो कर डालती थी चाहे फिर बाद मे मुझे खूब सजा भी मिली हो।

Real story in hindi


हर रोज शाम को खेलने जाना और फिर समय से घर आना ये भी बहुत बड़ा टास्क हुआ करता था जैसे की अब कितना भी काम कर लो लेकिन थकान कुछ देर आराम करके ही उतरती है। लेकिन बचपन मे ये सब उल्टा था दिन भर में चाहे स्कूल जाना हो या फिर होमवर्क या ट्यूशन का काम लेकिन बस दिमाग में यही चल रहा होता था की कब शाम हो और मैं खेलने जाऊ। और बचपन मे तो हमारी खेल के ही थकान उतरती थी।

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शाम को जब हम सब इक्कठा होकर बड़े पापा के यहां खेलने जाते थे तो एक डरावना सा आदमी उधर की तरफ से रोजाना निकलता था उसके हाथ मे हमेशा एक दूध की डिब्बी हुआ करती थी उसे डरावना इसलिए कहा क्योंकि उसके बहुत लंबे लंबे दांत थे और उसकी ऊंचाई भी शायद सात फुट के करीब होगी। जैसे ही वो आता सब इधर उधर डर के भाग जाते थे अक्सर मैं भी ऐसा ही करती थी लेकिन अगर कभी मैं रह जाती तो वो मुझे हंसके दिखाता और फिर मुझे ज्यादा डरावना लगता। मुझे सच मे उससे बहुत डर लगता था। वो सच में डरावना था 

फिर एक दिन मैंने हौसला किया और जब वो रोजाना की तरह उस दिन भी आया तो मै उसके सामने खड़ी रही वो मुझे हंसते हुए देख रहा था मुझे डर भी लग रहा था लेकिन मेने सोचा की आज मैं भागूंगी नहीं।

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उस दिन के बाद फिर कभी उससे डर लगा ही नहीं वही रोज़ का खेलने जाना और उस डरावने आदमी का रोज़ वह से गुजरना सब वही था बस अब मुझे उससे डर नहीं लगता था जैसे डर मुझसे कही कोसो दूर चला गया हो 

कुछ चीजें हमे बहुत डराने लगती है और हम फिर और डरने लगते है डरना किसी चीज का हल नहीं है वेसे, जितना डरोगे दुनिया और तुम्हें डराएगी। डर जितना हावी होगा तुम उतना खुद को कमजोर समझोगे 

कभी कभी सोचने का तरीका भी हमे डर की तरफ ले जाता है जो चीज़ है नहीं उसके बारे में सोचना भी तो हमे डर की तरफ धकेलता है फिर हमे वहां से निकलना बहुत मुश्किल लगता है किसी बात पर या किसी इंसान पर भी भरोसा करना मुश्किल हो जाता है

बचपन की कुछ आदते हमारा कभी पीछा नहीं छोड़ती हमे पीछे धकेलने में लगी रहती है हम कितना भी आगे  बढ़ जाये लेकिन कुछ जरूर ऐसा होता है जो आगे नहीं पीछे ले जाता है

अगर तुम गलत नहीं छोड़ पा रहे तो कुछ अच्छी आदत अपना लो जब अच्छी आदत तुम पर हावी हो जाये तो बुरी आदत खुद ब खुद छूट जायँगी 


 

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