A book lover story in hindi || Reading books ||My thoughts about books Reading
किताब पढ़ने वाले अक्सर मुझे बहुत कम मिलते है या फिर जो पड़ते भी है तो शायद किसी को पता नही लगने देते कि वो भी किताबो को पढ़ना पसंद करते है। किताब पढ़ना कोई बुरी बात नहीं लेकिन अक्सर ये देखकर लोग खुद से ही अपने अंदर, ये छवि बना लेते है कि ये शायद खुद पसंद इंसान है
जिसे अपनी ही दुनिया मे और किताबो की दुनिया के अलावा कुछ पसंद नही होगा जिसे लोगो से मिलना पसंद नही होगा।
तुमने कभी किसी को परफेक्ट देखा है? या परफेक्ट लाइफ को जीते हुए मुझे लगता है कि इतना परफेक्ट कोई भी नही हो सकता, अगर होता तो ये दुनिया ही परफेक्ट होती।
क्योंकि परफेक्ट लोग होंगे तो फिर ये दुनिया भी एकदम परफेक्ट होगी। कोई भी किसी भी तरह की गलती नही करेगा, किसी को भी सजा नही मिलेगी। कितना अच्छा लगता है न सुनने में?
मैने ये सब किताबो मे ही पढ़ा है वरना ऐसी तो कोई दुनिया ही नही होती जहा सबकुछ परफेक्ट हो। इसलिए किताबे पढ़ो और देखो की अगर हम एक परफेक्ट लाइफ को देखें तो वो सिर्फ हमे किताबो में ही मिल सकती है।
जब हम किताबे पढ़ते है तो मानो ऐसा लगता है कि हम उसे जी रहे है जब तक वो किताब चलती है तब तक हम एक परफेक्ट लाइफ की कल्पना कर रहे होते है और जैसे ही वो किताब पूरी होती है
हम उस दुनिया से बाहर निकल आते है लेकिन सिर्फ शारीरिक रूप से, मानसिक रूप से हम अब भी उसकी कल्पना कर रहे होते है ।
मैं किताबो को अब तक जितना समझ पाई हूं वो ये कि किताबे एक अलग और नई दुनिया देखने का एक तरीका है जो हम कभी असल जिन्दगी मे देख तो लेते है लेकिन समझ नही पाते कि क्या हो रहा है
लेकिन जब हम वही सब घटनाएं एक किताब के जरिए से देखते है तो हमें एहसास होता है की ये तो कितनी खूबसूरत घटना है जिसे हम खुद कभी न कभी जी लिए होते है या जीने वाले होते है।
लेकिन हम कभी ये एहसास नहीं कर पाते। तभी तो किताबे पढ़ना कितना जरूरी है कि जिस एहसास को हम गवा देते है वो हम फिर से जी सकते है।
मुझे ये एहसास अच्छा लगा जो किताबे पढ़ते है उन्हें भी वही महसूस होता होगा।
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