Life lessons in Hindi by lekhh || Motivation thoughts || SPIRITUAL JOURNEY
कभीं कभी जिंदगी हमें उन लोगो से भी मिलवा देती है जिनको हम बिलकुल नही चाहते कि वो हम से कभी टकराए जिन्हे अक्सर हम कही देख लें तो इधर उधर नजरे चुराने लगते है ताकि हम उनकी नजरों में ना आए और उनसे बात न करनी पड़े। लेकिन कुछ हालात ऐसे हो जाते है कि हमें उनसे मिलना भी पड़ता है और उनसे बाते भी करनी पड़ती है।
जिन लोगो को हम चाहते है कि वो हमारी जिंदगी में हमेशा रहे तो वही लोग अक्सर हमारा साथ छोड़ देते है लेकिन फिर भी आगे बढ़ना यही तो जिंदगी है अक्सर हम भूल जाते है कि किसी का होने या न होने से ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला बस हाँ उसके जाने के एहसास आपको लंबे समय तक होता है लेकिन कुछ अरसे बाद उसकी याद भी धुंधली होने लगती है तो किसी के जाने का इतना दुख भी मत मनाओ कि खुद को ही दुखी कर लो वक्त के साथ अक्सर सब धीरे धीरे ठीक होने लगता है।
जिन लोगो को देखकर लगता है कि ये तो बहुत खुश है अपनी जिंदगी में, अक्सर उनका भी कुछ न कुछ ऐसा जरूर होता है जो उन्हे अंदर ही अंदर एक दुख का कारण उनके साथ होता है लेकिन अक्सर ये लोग दिखाते नही जैसे कुछ लोग दिखा देते है कि हम बहुत दुखी है जो नही दिखाते सोचो वो कितना दर्द अपने अंदर लिए होते है कैसे सरवाइव करते होंगे जो किसी से अपना दुख नहीं बाटते होंगे।
जो लोग आपसे दूर गए है उन्हे जाने दो अब जो आपसे लोग मिल रहे हैं उन्हे अपनाओ उनको देखो और सीखो
जिन से हम मिलना भी नही चाह रहे थे अब उन लोगो से भी मिलना होगा लेकिन एक मौका तो सबको देना ही चाहिए क्योंकि जब तक हम किसी इंसान से करीब से नही मिलते, तब तक हम उससे अनजान होते है हा लेकिन इतना करीब भी मत जाओ किसी के। बस इतने करीब जाओ कि उसको जान लो।
किसी के कितना करीब जाना ठीक है और कितना नहीं इसकी कोई सीमा आप निश्चित तौर से तय कर सकते है ? शायद हां लेकिन हमेशा नहीं। आप किसी को मौका देना चाहने की बात करते हैं पर एक बार ज़रा गौर से अपने आप से पूछिए कि आप किसे मौका देना चाहते हैं उस इंसान को जिससे आप मिलना नहीं चाहते या फिर अपने आप को ? सच ये है कि आप अपने आप को एक और मौका देना चाहते हो इसलिए क्योंकि ऐसा किए बिना आप पिछले जीवन से बाहर नहीं आ सकते। अपने आप को आप मौका भी देना चाहते हो और डरते भी हो कि कहीं उससे नजदीकियां बढ गई तो क्या होगा । पर आप ही सोचो इस डर से उसे मौका देकर आप क्या किसी भी इंसान के साथ सच्चा रिश्ता निभा पाओगे कभी ? आपने खुद को मौका दिया आपने अपनी सीमा निश्चित की। आपको सही नहीं लगा आपने छोड़ दिया। क्या इन सब में आपने कभी उसके बारे में सोचा जिसे आपने मौका दिया ? हो सकता हैं जिस तरह आप पहले से तैयार थे एक सीमा बाद पीछे हटने को वो नहीं रहा हो । इसका मतलब यही हुआ कि आपने उसके साथ भी जाने अनजाने वही किया जो आपके साथ कभी हुआ । उम्मीद दी सपना दिया फिर अपनी हद का हवाला देकर छोड़ दिया। क्या इससे आपके घाव भर जायेंगे ?
और जिसके साथ आपको आगे नहीं बढ़ना उसे जानकर भी आप क्या पा लोगे ? शायद कुछ सीख जाओ लेकिन फ़र्क बहुत बड़ा है। उसने ना जाने कितने तूफानों का सामना करके अपनी एक शख्सियत बनाई है। क्या आप वैसी शख्सियत महज़ उसे जानकर बना सकती हो। आप कहते हो कि इतना नज़दीक जाओ कि बस उसे जान लो पर सच ये है कि ऐसी कोई एक निश्चित हद नहीं जहां जाकर आप किसी को जानो। ये हद हर शख्स की अलग अलग है। फिर आप कब मानोगे कि आप किसी शख्स को जान गए हो ? और इसका क्या प्रमाण हैं कि जैसा आपने उसे जाना है सही ही जाना है ? ये केवल मन को बहलाने वाली बात है। ज़िंदगी कभी इतनी आसान नहीं होती जितना आप सोचते हैं।
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किसी के कितना करीब जाना ठीक है और कितना नहीं इसकी कोई सीमा आप निश्चित तौर से तय कर सकते है ? शायद हां लेकिन हमेशा नहीं। आप किसी को मौका देना चाहने की बात करते हैं पर एक बार ज़रा गौर से अपने आप से पूछिए कि आप किसे मौका देना चाहते हैं उस इंसान को जिससे आप मिलना नहीं चाहते या फिर अपने आप को ? सच ये है कि आप अपने आप को एक और मौका देना चाहते हो इसलिए क्योंकि ऐसा किए बिना आप पिछले जीवन से बाहर नहीं आ सकते। अपने आप को आप मौका भी देना चाहते हो और डरते भी हो कि कहीं उससे नजदीकियां बढ गई तो क्या होगा । पर आप ही सोचो इस डर से उसे मौका देकर आप क्या किसी भी इंसान के साथ सच्चा रिश्ता निभा पाओगे कभी ? आपने खुद को मौका दिया आपने अपनी सीमा निश्चित की। आपको सही नहीं लगा आपने छोड़ दिया। क्या इन सब में आपने कभी उसके बारे में सोचा जिसे आपने मौका दिया ? हो सकता हैं जिस तरह आप पहले से तैयार थे एक सीमा बाद पीछे हटने को वो नहीं रहा हो । इसका मतलब यही हुआ कि आपने उसके साथ भी जाने अनजाने वही किया जो आपके साथ कभी हुआ । उम्मीद दी सपना दिया फिर अपनी हद का हवाला देकर छोड़ दिया। क्या इससे आपके घाव भर जायेंगे ?
ReplyDeleteऔर जिसके साथ आपको आगे नहीं बढ़ना उसे जानकर भी आप क्या पा लोगे ? शायद कुछ सीख जाओ लेकिन फ़र्क बहुत बड़ा है। उसने ना जाने कितने तूफानों का सामना करके अपनी एक शख्सियत बनाई है। क्या आप वैसी शख्सियत महज़ उसे जानकर बना सकती हो। आप कहते हो कि इतना नज़दीक जाओ कि बस उसे जान लो पर सच ये है कि ऐसी कोई एक निश्चित हद नहीं जहां जाकर आप किसी को जानो। ये हद हर शख्स की अलग अलग है। फिर आप कब मानोगे कि आप किसी शख्स को जान गए हो ? और इसका क्या प्रमाण हैं कि जैसा आपने उसे जाना है सही ही जाना है ?
Deleteये केवल मन को बहलाने वाली बात है। ज़िंदगी कभी इतनी आसान नहीं होती जितना आप सोचते हैं।