Poem on father in Hindi by daughter
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बांटते है अपना सब कुछ, पर जताते कहां हैं।
कर देते है सारा खर्च औलाद पर,
खुद पर एक पैसा भी उठाते कहां है।
अब तो आधी उम्र हो चली है,
सबकी खुशियों को पूरा करते करते,
लेकिन आज भी एहसान जताते कहां हैं।
मैने देखा है उन्हें हमेशा
भाग दौड़ करते हुए वो, थकते कहां हैं।
बस काम काम करते हुए, वो
दिन को रात और रात को दिन, समझते कहां है।
ऐसा हौसला भी सिर्फ बाप मे ही होता है।
आज कल तो लोग इतना साथ, निभाते कहां है।
सदा बीमारी में भी, साथ खड़े रहते है
ठीक ठाक साथ लिए बिना, जाते कहां है।
छोटी छोटी बातों पर भी हौसला बढ़ाते है।
वो सबकी तरह एग्जाम से पहले, डराते कहां है।
सुन लो, हां यहां बाप की ही बात हो रही है।
कौन उनसे ज्यादा, इस दुनिया मे अच्छा कहां है।
- लेख
1 Comments
Wonderfull lines👏👏💖
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